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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2699
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

अथवा

"बाल्यावस्था जीवन का अनोखा काल है।" इस कथन का स्पष्टीकरण कीजिए और इस काल की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

बाल्यावस्था : जीवन का अनोखा काल

बाल्यावस्था वास्तव में मानव जीवन का वह स्वर्णिम समय है जिसमें उसका सर्वांगीण विकास होता है। फ्रायड यद्यपि यह मानते हैं कि बालक का विकास पाँच वर्ष की आयु तक हो जाता है। लेकिन बाल्यावस्था में विकास की यह सम्पूर्णता, गति प्राप्त करती है और एक ओर परिपक्व व्यक्ति के निर्माण की ओर अग्रसर होती है।

शैशवावस्था के बाद बाल्यावस्था का आरम्भ होता है। यह अवस्था, बालक के व्यक्तित्व के निर्माण की होती है। बालक में इस अवस्था में विभिन्न आदतों, व्यवहार, रुचि एवं इच्छाओं के प्रतिरूपों का निर्माण होता है।

ब्लेयर, जोन्स एवं सिम्पसन के अनुसार - "शैक्षिक दृष्टिकोण से जीवन चक्र में बाल्यावस्था से अधिक कोई महत्त्वपूर्ण अवस्था नहीं है। जो शिक्षक इस अवस्था के बालकों को शिक्षा देते हैं, उन्हें बालकों का, उनकी आधारभूत आवश्यकताओं का, उनकी समस्याओं एवं उनकी परिस्थितियों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए जो उनके व्यवहार को रूपान्तरित और परिवर्तित करती है।"

कोल व ब्रूस ने - बाल्यावस्था को जीवन का 'अनोखा काल' बताते हुए लिखा है - " वास्तव में माता-पिता के लिए बाल विकास की इस अवस्था को समझना कठिन है।"

कुप्पूस्वामी के अनुसार - इस अवस्था में बालक में अनेक अनोखे परिवर्तन होते हैं, उदाहरणार्थ, 6 वर्ष की आयु में अनोखे परिवर्तन होते हैं, 6 वर्ष की आयु में बालक का स्वभाव बहुत उग्र होता है और वह लगभग सब बातों का उत्तर 'न' या 'नहीं' में देता है। 7 वर्ष की आयु में वह उदासीन होता है और अकेला रहना पसन्द करता है। 8 वर्ष की आयु में उसमें अन्य बालकों से सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की भावना बहुत प्रबल होती है। 9 से 12 वर्ष तक की आयु में विद्यालय में उसके लिए कोई आकर्षण नहीं रह जाता है। वह कोई नियमित कार्य न करके, कोई महान् और रोमांचकारी कार्य करना चाहता है।

बाल्यावस्था की मुख्य विशेषताएँ

यद्यपि बाल्यावस्था को 6-12 वर्षायु तक माना जाता है। हरलॉक ने इसे 6 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के बीच का समय माना है। इस अवस्था में ये विशेषतायें विकसित होती हैं --

1. शारीरिक व मानसिक स्थिरता - 6 या 7 वर्ष की आयु के बाद बालक के शारीरिक और मानसिक विकास में स्थिरता आ जाती है। वह स्थिरता उसकी शारीरिक व मानसिक शक्तियों को दृढ़ता प्रदान करती है। फलस्वरूप, उसका मस्तिष्क परिपक्व सा और वह स्वयं वयस्क-सा जान पड़ता है। इसलिए, रॉस (Ross) ने बाल्यावस्था को 'मिथ्या परिपक्वता' का काल बताते हुए लिखा है- " शारीरिक और मानसिक स्थिरता बाल्यावस्था की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है।"

बाल्यावस्था के विकास का महत्त्व अत्यधिक है। इस अवस्था में विकास का अध्ययन अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्यों को प्रकट करता है। कैरल के अनुसार - "बालक के शारीरिक विकास और उसके सामान्य व्यवहार का सह-सम्बन्ध इतना महत्त्वपूर्ण होता है कि यदि हम समझना चाहें कि भिन्न-भिन्न बालकों में क्या समानतायें है, क्या भिन्नतायें हैं, आयु-वृद्धि के साथ व्यक्ति में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं तो हमें बालक के शारीरिक विकास का अध्ययन करना होगा।"

2. मानसिक योग्यताओं में वृद्धि - बाल्यावस्था में बालक की मानसिक योग्यताओं में निरन्तर वृद्धि होती है। उसकी संवेदना और प्रत्यक्षीकरण की शक्तियों में वृद्धि होती है। वह विभिन्न बातों के बारे में तर्क और विचार. लगने लगता है। वह साधारण बातों पर अधिक देर तक अपने ध्यान को केन्द्रित कर सकता है। उसमें अपने पूर्व अनुभवों को स्मरण रखने की योग्यता उत्पन्न हो जाती है।

3. जिज्ञासा की प्रबलता - बालक की जिज्ञासा विशेष रूप से प्रबल होती है। वह जिन वस्तुओं के सम्पर्क में आता है, उसके बारे में प्रश्न पूछ कर हर तरह की जानकारी प्राप्त करना चाहता है। उसके ये प्रश्न शैशवावस्था के साधारण प्रश्नों से भिन्न होते हैं। अब वह शिशु के समान यह नहीं पूछता है- 'वह क्या है?' इसके विपरीत वह पूछता है- 'यह ऐसे क्यों है?' 'यह ऐसे कैसे हुआ है?"

4. वास्तविक जगत् के सम्बन्ध - इस अवस्था में बालक, शैशवावस्था के काल्पनिक जगत् का परित्याग करके वास्तविक जगत् में प्रवेश करता है। वह उसकी प्रत्येक वस्तु से आकर्षित होकर उसका ज्ञान प्राप्त करना चाहता है। स्ट्रैंग के शब्दों में- "बालक अपने को अति विशाल संसार में पाता है और उसके बारे में जल्दी से जल्दी जानकारी प्राप्त करना चाहता है।"

5. रचनात्मक कार्यों में आनन्द - बालक को रचनात्मक कार्यों में विशेष आनन्द आता है। वह साधारणतः घर से बाहर किसी प्रकार का कार्य करना चाहता है, जैसे-बगीचे में काम करना या औजारों से लकड़ी की वस्तुएँ बनाना। उसके विपरीत, बालिका घर में ही न कोई-न-कोई कार्य करना चाहती है, जैसे -सींना, पिरोना या कढ़ाई करना।

6. सामाजिक गुणों का विकास - बालक, विद्यालय के छात्रों और अपने समूह के सदस्यों के साथ पर्याप्त समय व्यतीत करता है। अतः उसमें अनेक सामाजिक गुणों का विकास होता है, जैसे- सहयोग, सद्भावना, सहनशीलता, आज्ञाकारिता आदि।

7. नैतिक गुणों का विकास - इस अवस्था के आरम्भ में ही बालक में नैतिक गुणों का विकास होने लगता है। स्ट्रैंग के मतानुसार - "छः, सात और आठ वर्ष के बालकों में अच्छे-बुरे के ज्ञान का एवं न्यायपूर्ण व्यवहार, ईमानदारी और सामाजिक मूल्यों की भावना का विकास होने लगता है।"

8. बहिर्मुखी व्यक्ति का विकास - शैशवावस्था में बालक का व्यक्तित्व अन्तर्मुखी होता है, क्योंकि वह एकान्तप्रिय और केवल अपने में रुचि लेने वाला होता है। इसके विपरीत, बाल्यावस्था में उसका व्यक्तित्व बहिर्मुखी और केवल अपने में रुचि लेने वाला नहीं होता है। इसके विपरीत, बाल्यावस्था में उसका व्यक्तित्व बहिर्मुखी हो जाता है, क्योंकि बाह्य जगत में उसकी रुचि उत्पन्न हो जाती है। अतः वह अन्य व्यक्तियों, वस्तुओं और कार्यों का अधिक-से-अधिक परिचय प्राप्त करना चाहता है।

9. संवेगों का दमन व प्रदर्शन - बालक अपने संवेगों पर अधिकार रखना एवं अच्छी और बुरी भावनाओं में अन्तर करना सीख जाता है। वह उन भावनाओं का दमन करता है, जिनको उसके माता-पिता और बड़े लोग पसन्द नहीं करते हैं, जैसे- काम-सम्बन्धी भावनायें।

10. संग्रह करने की प्रवृत्ति - बाल्यावस्था में बालकों और बालिकाओं में संग्रह करने की प्रवृत्ति बहुत ज्यादा पाई जाती है। बालक विशेष रूप से काँच की गोलियों, टिकटों, मशीनों के भागों और पत्थर के टुकड़ों का संचय करते हैं। बालिकाओं में चित्रों, खिलौनों, गुड़ियों और कपड़ों के टुकड़ों का संग्रह करने की प्रवृत्ति पाई जाती हैं।

11. निरुद्देश्य भ्रमण की प्रवृत्ति - बालक में बिना किसी उद्देश्य के इधर-उधर घूमने की प्रवृत्ति बहुत अधिक होती है। मनोवैज्ञानिक बर्ट ने अपने अध्ययनों के आधार पर बताया है कि लगभग 9 वर्ष के बालकों में आवारा घूमने, बिना छुट्टी लिए विद्यालय से भागने और आलस्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने की आदतें सामान्य रूप से पाई जाती हैं।

12. काम प्रवृत्ति की न्यूनता - इस अवस्था में बालक में काम-प्रवृत्ति की न्यूनता होती है। वह अपना अधिकांश समय मिलने-जुलने, खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने में व्यतीत करता है। अतः वह बहुत ही कम अवसरों पर अपनी काम प्रवृत्ति का प्रदर्शन कर पाता है।

13. सामूहिक प्रवृत्ति की प्रबलता - बालक में सामूहिक प्रवृत्ति बहुत प्रबल होती है। वह अपना अधिक-से-अधिक समय दूसरे बालकों के साथ व्यतीत करने का प्रयास करता है। रॉस के अनुसार - "बालक प्रायः अनिवार्य रूप से किसी-न-किसी समूह का सदस्य हो जाता है, जो अच्छे खेल 'खेलने और उसे ऐसे कार्य करने के लिए नियमित रूप से एकत्र होता है, जिनके बारे में बड़ी आयु के लोगों को कुछ भी नहीं बताया जाता है।"

14. सामूहिक खेलों में रुचि - बालक को सामूहिक खेलों में अत्यधिक रुचि होती है। वह 6 या 7 वर्ष की आयु में छोटे समूहों में बहुत काफी समय तक खेलता है। खेल के समय बालिकाओं की अपेक्षा बालकों में झगड़े अधिक होते हैं। 11 या 12 वर्ष की आयु में बालक दलीय खेलों में भाग लेने लगता है। स्ट्रैंग का विचार है- "ऐसा शायद ही कोई खेल हो, जिसे दस वर्ष के बालक न खेलते हों।"

15. रुचियों में परिवर्तन - बालक की रुचियों में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है। वे स्थायी रूप धारण न करके वातावरण में परिवर्तन के साथ परिवर्तित होती रहती हैं। कोल एवं ब्रूस ने लिखा है- "6 से 12 वर्ष की अवधि की एक अपूर्व विशेषता है मानसिक रुचियों में स्पष्ट परिवर्तन।"

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
  3. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
  4. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
  5. प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
  11. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  12. प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
  13. प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  14. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
  15. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
  22. प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
  26. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
  27. प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
  29. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  32. प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
  33. प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  37. प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
  38. प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
  39. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
  40. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
  41. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
  42. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
  43. प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
  44. प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
  45. प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
  46. प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
  47. प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
  48. प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  49. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
  50. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
  51. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
  53. प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
  54. प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  56. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
  57. प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  58. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  59. प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
  62. प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
  63. प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  64. प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
  66. प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
  67. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
  68. प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
  70. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  71. प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
  74. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
  75. प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
  77. प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  78. प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
  82. प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
  83. प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
  85. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
  86. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
  87. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
  91. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
  92. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
  93. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  94. प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
  96. प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
  99. प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
  100. प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
  101. प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
  102. प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
  103. प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
  104. प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
  105. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
  108. प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
  109. प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
  112. प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
  113. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- समूह कारक या संघसत्तात्मक सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  115. प्रश्न- बुद्धि के बहु-प्रकारीय सिद्धान्त की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  116. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (बुद्धि एवं सृजनात्मकता )
  117. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?
  120. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  122. प्रश्न- समूह चर्चा से आपका क्या अभिप्राय है? समूह चर्चा के उद्देश्य एवं मान्यताएँ स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- व्यक्तित्व मूल्यांकन की प्रश्नावली विधि को समझाइए।
  124. प्रश्न- व्यक्तित्वं मूल्यांकन की अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं?
  125. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ बताइए तथा छात्रों की मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं? शिक्षक उन्हें दूर करने में उनकी सहायता कैसे कर सकता है?
  126. प्रश्न- बालकों के मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं?
  127. प्रश्न- बालकों के मानसिक स्वास्थ्य में उन्नति के उपाय बताइये।
  128. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के विचार को स्पष्ट कीजिए। विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  129. प्रश्न- विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  130. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-सी विशेषता होती है?
  131. प्रश्न- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
  132. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के उपायों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उपाय बताइए।
  134. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
  135. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख तत्व बताइये।
  136. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  137. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
  138. प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका होती है?
  139. प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य में उसके कुटम्ब का क्या योगदान है?-
  140. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
  142. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तित्व )
  143. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)

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